मंगलवार, 9 जनवरी 2018

मैथिली कहानी : गोनू झा के ढ़ाकी

गोनू झा के बढ़ैत प्रतिष्ठा सँ हुनक भाय बड़ जड़ैत छला आ सगरो दुष्प्रचार करैत छला जे भाय हमरा संग अन्याय करैत छथि। बात बढ़ैत-बढ़ैत बढ़ि गेल। लोक सभ सेहो एहि झगड़ा मे यदा-कदा घी ढारथि। ताहि द्वारे बात बढ़ि के भिन्न-भिनाउज धरि आबि गेल। गोनू झा अपन भाय भोनू के ठीक सँ देखभालो करथि आ हरदम हुनकर बर-बेगरता मे ठाढ़ रहथि। ओ भोनू के बहुत बुझेबाक प्रयास केलनि जे ओ लोक के कहल मे नहि आबथि आ शांत रहथि, लोक सभ हुनका दुनू भायक बीच मे दरारि फारय चाहैत अछि, मुदा भोनू नहि मानलथि। हारि के गोनू भिन्न-भिनाउज पर राजी भेलाह

आब गौंआँ सब अलगे चालि जलय लागल। ओ भोनू के बुझेलक जे गोनू के कोन कमी छनि। हुनका तँ रोज राज-दरबार सँ किछु ने किछु भेटिते रहैत छनि। तें तों कहून जे घर मे जे धान अछि से सभटा हमरा दऽ दिअ। फेर भोनू पड़ि गेलाह गोनूक पाछू। गोनू तरे-तर सबटा भाँज-पता लगा लेलाह जे एहि काज मे के सब सह दऽ रहल अछि आ ओ के अछि जे हमरा दुनू भाय मे भिन्न-भिनाउज हेबाक नौबत आनि देलक अछि। हुनका सभ के छ्केबाक लेल आ भाय के ठीक रस्ता पर अनबाक ले गोनू एकटा प्लान बनेलनि।

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भिन्न-भिनाउज पर ओ राजी तँ छलाहे, ओ गौंआँ सभक बैसार करेलनि। दुनू भाय के अलग करेबा मे जनिका सभक भूमिका छलनि तिनका सभ के गोनू विशेष रूप सँ पंचैती मे बजेलनि आ तें जेना की आशा छल, पंच लोकनि ई निर्णय देलनि जे अहाँ घर मे उपलब्ध सभटा धान भोनू के दऽ दियौ, कारण अहाँ के कोन कमी अछि, रोज दरबार सँ किछु ने किछु भेटिते रहैत अछि। पहिने बैसार मे ओ अनुनय-विनय केलनि जे बाप-दादाक अरजल खेत सँ जे किछु धान आदि भेल अछि, से आधा-आधा बँटेबाक चाही। परन्तु ओ पंच लोकनि जे भोनू के सनकबैत रहथिन से एहि पर राजी नहि भेलखिन आ जोर देलखिन जे सभटा धान भोनू के दऽ दियौ। गोनू के ई बात उचित नहि बुझेलनि जे सभटा धान भोनू के दऽ दियै आ हमरा काल्हिये सँ बेसाह लागय। आ तें गोनू प्रस्ताव देलनि जे हमरा आँगन मे राखल ढ़ाकी सँ एक ढ़ाकी धान दऽ देल जाय आ शेष धान भोनू राखथि। भोनू के भड़कावय वला पंच एहि बात पर राजी भऽ गेलाह।

फेर की छल। लोकक सोझे मे ढ़ाकी मे धान देब शुरू कयल गेल। ढ़ाकी मे धान देल जाइक आ पता नहि ओ धान कतय चलि जाय। ढ़ाकी हरदम खालीक खाली। धान देनहार थाकि गेल परन्तु ढ़ाकी नहि भरल। लोक के आश्चर्य लगैक। अंत मे लोक सभ ढ़ाकी उठेलक तँ देखैत अछि ओकर नीचाँ मे बड़का टा खाधि। लोक सभ आश्चर्यचकित रहि गेल आ गोनू पर छल करबाक दोषारोपण करय लागल।

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गोनू बजलाह - आखिर अहाँ लोकनि भोनू के भड़काय के हमरा घर मे भिन्न-भिनाउज कराइये देल आ हमरा अपन पुरषाक अड़जल खेतक धान सँ सेहो वंचित करबाक बहुत प्रयास कयल। जँ हमचाहितौं तँ अहाँ सभक पंचैतीक मोताबिक आई एक ढ़ाकी धान लऽ सकैत छलहुँ, तथापि भोनूक कोनो हक के मारब हमर ध्येय नहि अछि।

एतबा सुनितहि भोनू गोनूक पायर पर खसि पड़ल आ भाय सँ भिन्न हेबाक विचार के तिलांजलि दऽ देलक आ ताहि दिन सँ गोनूक ढाकी पूरा मिथिलांचल मे नामी भऽ गेल।

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